🌾✝️Daily Bible Reading--How can we love one another?✝️🌾
Most of the time, we cannot get along with others, but be close to this one not that one. We love brothers and sisters who benefit us, but hate rather than love those who offend us or harm our interests. This showed that our love of brothers and sisters is unprincipled. Our interaction with others is based on our own personal preferences. Therefore, we are not able to love them even if we want to, and cannot achieve mutual love. Then how can we love one another?
God says, "यदि परमेश्वर के साथ तुम्हारा उचित संबंध नहीं है, तो चाहे तुम दूसरों के साथ संबंध बनाए रखने की जितनी भी कोशिश कर लो, चाहे तुम जितनी भी मेहनत कर लो या जितनी भी ताक़त लगा दो, वह तब भी जीवन के मानवीय दर्शनशास्त्र का हिस्सा रहेगा। वह तुम लोगों के बीच एक मानवीय दृष्टिकोण और मानवीय दर्शनशास्त्र के माध्यम से अपनी स्थिति बनाकर रख रहा है ताकि वे तुम्हारी प्रशंसा करे। तुम परमेश्वर के वचनों के अनुसार लोगों के साथ उचित संबंध स्थापित नहीं करते हैं। यदि तुम लोगों के साथ अपने संबंधों पर ध्यान केंद्रित नहीं करते हो लेकिन परमेश्वर के साथ एक उचित संबंध बनाए रखते हो, अगर तुम अपने दिल को परमेश्वर को देने के लिए और उसकी आज्ञा का पालने करने के लिए तैयार हो, तो बहुत स्वाभाविक है कि सभी लोगों के साथ तुम्हारे संबंध सही हो जाएंगे। इस तरह से, ये संबंध शरीर के स्तर पर स्थापित नहीं होंगे, बल्कि परमेश्वर का प्रेम इनकी बुनियाद होगा। शरीर के आधार लगभग कोई मेलजोल नहीं होता है, लेकिन उसकी आत्मा में साहचर्य है, और साथ ही साथ प्रेम, आराम और एक दूसरे के लिए आदान-प्रदान की भावना है। यह सब एक ऐसे हृदय पर आधारित होता है, जो परमेश्वर को संतुष्ट करता हो। ये संबंध जीवन के मानवीय दर्शनशास्त्र के आधार पर नहीं बनाए रखे जाते हैं, बल्कि वे बहुत ही स्वाभाविक रूप से परमेश्वर के लिए बोझ के माध्यम से बनते हैं। इसके लिए मानवीय प्रयासों की आवश्यकता नहीं होती—परमेश्वर के वचन के सिद्धांतों के माध्यम से उन पर चला जाता है।"
From God’s words, we can see that when we have a proper relationship with God, when we do not establish our relationships with others on the flesh but on the foundation of God’s love, we can truly love one another and live out the reality of loving God.
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🌾✝️Daily Bible Reading--Follow Christ In The Last Days✝️🌾
From this verse in the picture. I understand the Lord’s intention. If we want to achieve salvation and gain His provision of life, we must accept the incarnate Christ. Only Christ is the gate to entry into the kingdom of heaven. None may enter into God’s kingdom except through Christ.We all know that Jesus will come again and bring us the salvation in the last days. Then how can we know and follow Christ of the last days? What's the consequence if we don't accept the Lord's return in the last days? The questions are indeed very important for us, which are directly related to the major issue of whether we can enter into the Kingdom of Heaven.
God says, "जो मसीह के द्वारा कहे गए सत्य पर भरोसा किए बिना जीवन प्राप्त करने की अभिलाषा करते हैं, वे पृथ्वी पर सबसे हास्यास्पद मनुष्य हैं और जो मसीह के द्वारा लाए गए जीवन के मार्ग को स्वीकार नहीं करते हैं वे कल्पना में ही खोए हुए हैं। इसलिए मैं यह कहता हूं कि लोग जो अंतिम दिनों में मसीह को स्वीकार नहीं करते हैं वे हमेशा के लिए परमेश्वर के द्वारा तुच्छ समझे जाएंगे। अंतिम दिनों में मसीह मनुष्यों के लिए परमेश्वर के राज्य में प्रवेश करने का माध्यम है, जिसकी अवहेलना कोई भी नहीं कर सकता। मसीह के माध्यम बने बिना कोई भी परमेश्वर के द्वारा सिद्धता को प्राप्त नहीं कर सकता। परमेश्वर में तुम्हारा विश्वास है, और इसलिए तुम उसके वचनों को स्वीकार करो और उसके मार्गों का पालन करो। बिना सत्य को प्राप्त किए या बिना जीवन के प्रावधान को स्वीकार किए तुमको सिर्फ़ अनुग्रह प्राप्त करने के बारे में सोचना नहीं है। मसीह अंतिम दिनों में आता है ताकि वे सभी जो सच्चाई से उस पर विश्वास करते हैं उन्हें जीवन प्रदान किया जाए। उसका कार्य पुराने युग को समाप्त करने और नए युग में प्रवेश करने के लिए है और यही वह मार्ग है जिसे नए युग में प्रवेश करने वालों को अपनाना चाहिए। यदि तुम उसे पहचानने में असमर्थ हो, और उसकी भर्त्सना करते हो, निंदा करते हो और यहां तक कि उसे पीड़ा पहुंचाते हो, तो तुम अनन्त समय तक जलाए जाते रहने के लिए निर्धारित कर दिये गए हो और तुम कभी भी परमेश्वर के राज्य में प्रवेश नहीं कर पाओगे।"
Following Jesus - Hindi
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