दुनिया के अंधकार और बुराई के स्रोत के बारे में एक संक्षिप्त वार्ता
जब मैं स्कूल में ही थी, तब मेरे पिता बीमार हो गए और उनका देहांत हो गया। उनकी मृत्यु के बाद, परिवार के दोनों पक्षों के चाचाओं ने, जिनकी मेरे पिता द्वारा अक्सर ही मदद की जाती थी, न केवल हमारा—मेरी माँ जिनके पास कमाई का कोई स्रोत नहीं था, मेरी दो बहनों और मुझ पर—कोई ध्यान नहीं दिया, बल्कि, इसके विपरीत, हमसे फायदा उठाने के लिए वे जो कुछ भी कर सकते थे, उन्होंने किया, यहाँ तक कि उस थोड़ी सी विरासत के लिए भी हमसे लड़ाई करते थे जो मेरे पिता पीछे छोड़ गए थे। मेरे रिश्तेदारों की बेरुख़ी और उन्होंने जो कुछ भी किया जिसकी मैं कभी उम्मीद भी नहीं कर सकती थी, उसके सामने मुझे बहुत पीड़ा महसूस होती थी और मैं इन रिश्तेदारों द्वारा प्रदर्शित विवेक के पूर्ण अभाव और निष्ठुरता से नफ़रत करने के अलावा और कुछ नहीं कर सकती थी, साथ ही मुझे मानव प्रकृति की अस्थिरता का भी ज्ञान हो रहा था। इसके बाद, जब भी मैं समाज में पारिवारिक सदस्यों के धन के पीछे एक-दूसरे से लड़ने, या धन के लिए लोगों के चोरी या हत्या करने की घटनाओं को देखती, तो मैं अक्सर विलाप किया करती थी कि आजकल दुनिया अत्यधिक अंधकार से भर गई है, कि लोगों के दिल वाकई बेईमान हो गए हैं और यह दुनिया वाकई बहुत अस्थिर है। उस समय, मैं सोचती थी कि इस दुनिया का इतने अधिक अंधकार से भर जाना इस कारण से है क्योंकि आजकल लोग बुरे बन गए हैं, कि उनमें अब और विवेक नहीं रह गया है और यह कि इस दुनिया में बुरे लोग बहुत अधिक हैं। इसके बाद, केवल परमेश्वर के वचनों को खाने और पीने के बाद ही मुझे अहसास हुआ कि मैं जो कुछ भी सोचती थी वह तो बस ऊपरी सतह को खरोंचती थी, और वह दुनिया के अंधकार और बुराई का स्रोत नहीं था। परमेश्वर के वचनों से, मैंने इस दुनिया में अंधकार और बुराई के असली स्रोत को स्पष्ट रूप से देखा।
परमेश्वर के वचन कहते हैं: "शैतान के द्वारा भ्रष्ट होने से पहले, मनुष्य स्वभाविक रूप से परमेश्वर का अनुसरण करता था और उसके वचनों का आज्ञापालन करता था। वह स्वभाविक रूप से सही समझ और सद्विवेक का था, और सामान्य मानवता का था। शैतान के द्वारा भ्रष्ट होने के बाद, उसकी मूल समझ, सद्विवेक, और मानवता मंदी हो गईं और शैतान के द्वारा खराब हो गईं। इस प्रकार, उसने परमेश्वर के प्रति अपनी आज्ञाकारिता और प्रेम को खो दिया है। मनुष्य की समझ धर्मपथ से हट गई है, उसका स्वभाव एक जानवर के समान हो गया है, और परमेश्वर के प्रति उसकी विद्रोहशीलता और भी अधिक लगातार और गंभीर हो गई है। अभी तक मनुष्य इसे न तो जानता है और न ही पहचानता है, और केवल आँख बंद करके विरोध और विद्रोह करता है" ("वचन देह में प्रकट होता है" से "एक अपरिवर्तित स्वभाव का होना परमेश्वर के साथ शत्रुता होना है" से)। "हजारों वर्षों की प्राचीन संस्कृति और इतिहास के ज्ञान ने मानव की सोच और अवधारणाओं तथा मानसिक दृष्टिकोण को अभेद्य और अध्वंस्य हो जाने की सीमा तक बंद कर दिया है। …सामंती नैतिकता ने मनुष्य का जीवन "अधोलोक" में पहुंचा दिया है, जिससे व्यक्ति की विरोध करने की क्षमता और भी कम हो गई है। विभिन्न प्रकार के उत्पीड़न के तले मनुष्य धीरे-धीरे अधोलोक में और गहरा गिर गया.… प्राचीन संस्कृति के ज्ञान ने चुपचाप मनुष्य को परमेश्वर की उपस्थिति से चुरा लिया है और मनुष्य को दुष्टों के राजा और उसके पुत्रों को सौंप दिया है। चार पुस्तकों और पाँच क्लासिक्स ने मनुष्य की सोच और अवधारणाओं को विद्रोह के एक और युग में पहुँचा दिया है, जिससे मनुष्य उनकी और भी आराधना करता है जिन्होंने उन पुस्तकों और क्लासिक्स को लिखा था, परमेश्वर के बारे में उनकी धारणा को बढ़ाते हुए। दुष्टों के राजा ने निर्दयतापूर्वक मानव जाति के दिल से, उनकी जागरूकता के बिना, परमेश्वर को बाहर निकाल दिया, जबकि उसने मनुष्य के दिल को हर्षपूर्वक हथिया लिया। तब से मनुष्य, दुष्टों के राजा का चेहरा धारण करने वाले एक बदसूरत और दुष्ट आत्मा के अधीन हो गया था। परमेश्वर के प्रति एक घृणा उनके सीनों में भर गई, और दुष्टों के राजा की दुर्भावना दिन-ब-दिन आदमी के भीतर फैलती गई.… सह-अपराधियों का यह गिरोह! वे नश्वर भोग के सुख में लिप्त होने और विकार को फ़ैलाने के लिए मनुष्यों के बीच आते हैं। उनका उपद्रव दुनिया में अस्थिरता का कारण बनता है और मनुष्य के दिल में आतंक ले आता है, और उन्होंने मनुष्य को विकृत कर दिया है ताकि मनुष्य असहनीय कुरूपता वाले जानवरों के समान दिखे, मूल पवित्र व्यक्ति की थोड़ी-सी भी पहचान रखे बिना" ("वचन देह में प्रकट होता है" से "कार्य और प्रवेश (7)" से)। परमेश्वर के इन वचनों से, मैं समझ गई कि आरंभ में जिस मानवजाति की परमेश्वर ने रचना की थी वह मूल रूप से परमेश्वर के प्रति आज्ञाकारी थी, वे उसकी पूजा करते थे, उनके पास सामान्य मानवता का विवेक और तर्क था, और उन्हें दूषित नहीं किया गया था, न ही उन्होंने कोई बुराई की थी। मानवजाति को शैतान द्वारा भ्रष्ट किए जाने के बाद, पाप मनुष्य का स्थायी साथी बनना शुरू हो गया। कई हजार सालों से, शैतान ने लगातार मनुष्य को परेशान और भ्रष्ट किया है। यह मनुष्य में प्रतिक्रियावादी विचार और सिद्धांत बिठा देता है, ताकि मनुष्य उसके ज़हर पर भरोसा करके जीए, जिसके परिणामस्वरूप मानवजाति पहले से भी अधिक भ्रष्ट और ख़राब बनती जाएगी, और यह दुनिया पहले से भी अधिक अंधकारमय और बुरी बनती जाएगी। "दूसरे का गला काटे बिना सफलता नहीं मिलती," "सुबह जल्दी क्यों उठना यदि मेरे लिए इसमें कुछ नहीं है?" "कंजूसी का प्रतिदान मृत्यु है," "जैसे एक छोटे मन से कोई सज्जन व्यक्ति नहीं बनता है, वैसे ही वास्तविक मनुष्य विष के बिना नहीं होता है," "जिंदगी छोटी है, इसलिए मजे करो," "कभी भी कोई उद्धारकर्ता नहीं हुआ है" और "पृथ्वी पर किसी भी तरह का कोई भी परमेश्वर नहीं है" जैसे वाक्यांश सभी ज़हर हैं जो शैतान द्वारा मनुष्य के मन में बिठाए गए हैं। ये बातें लोगों की जिंदगियाँ बन जाती हैं और उनकी जिंदगी के नियम बन जाती हैं, जिसकी वजह से कोई भी फिर परमेश्वर की मौजूदगी में अब और विश्वास नहीं करता है, कोई भी स्वर्ग की अब और पूजा नहीं करता है, और कोई भी तर्क या अपने विवेक की अब और नहीं सुनता है। मनुष्य के दिल में परमेश्वर के लिए अब और कोई जगह नहीं है, परमेश्वर से आने वाले कानूनों और नियमों का अब और कोई प्रतिबंध नहीं है। सभी मनुष्य शैतान द्वारा विषाक्त और नियंत्रित कर लिए गए हैं, जिसकी वजह से मनुष्य पहले से भी अधिक विश्वासघाती, स्वार्थी, तिरस्करणीय, लालची, अहंकारी, पहले से अधिक बुरे और लंपट, असंयमी, पहले से भी अधिक स्वेच्छाचारी, अधर्मी और विकृत हो गए हैं। वे विवेक, नैतिकता, मानवीय प्रकृति से विहीन, और एक ऐसे मनुष्य के दानवीय मूर्तरूप बन गए हैं जहाँ द्वेष दूसरी प्रकृति के रूप में आता है। विशेष रूप से, "दूसरे का गला काटे बिना सफलता नहीं मिलती" एक घातक ज़हर है जो कि शैतान मनुष्य में रोपित करता है, और यह मेरे चाचाओं के साथ सर्वाधिक स्पष्ट था। मनुष्य किसी भी अन्य चीज के ऊपर अपना फायदा रखते हुए, "सुबह जल्दी क्यों उठना जब मेरे लिए इसमें कुछ नहीं है?" के बारे में सोचते हुए, केवल अपने खुद के हित के लिए ही जीता है। ज्यादा और बड़े लाभ प्राप्त करने के लिए, मनुष्य कोई भी बुरी या पापी चीज़ कर सकता है, कोई भी बेशर्म, तिरस्करणीय या अधम संदेहपूर्ण सौदा कर सकता है। लोगों के बीच कोई सच्चा प्यार या स्नेह नहीं है—यह सब एक-दूसरे से धोखा देना, एक-दूसरे का उपयोग करना और एक-दूसरे को नुकसान पहुँचाना है। एक ही परिवार के सदस्य धन और लाभ के लिए एक-दूसरे से लड़ते हुए, एक-दूसरे के साथ झगड़ सकते हैं और एक-दूसरे के दुश्मन बन सकते हैं। फिर इससे भी अधिक, लाभ के वास्ते संबंध और मित्र सभी नैतिक सिद्धांतों को भूल जाते हैं; वे मानव दिखाई दे सकते हैं, लेकिन उनके पास पशुओं के दिल हैं।… मनुष्य इन बुरी चीज़ों को कर सकता है यह सब इसलिए है क्योंकि उन्हें शैतान के "दूसरे का गला काटे बिना सफलता नहीं मिलती" द्वारा विषाक्त कर दिया गया है, और वे उसके प्रभुत्व के भीतर हैं। यह देखा जा सकता है कि मनुष्य के बुरे कर्मों का स्रोत शैतान का ज़हर है, और कि यह इस दुनिया में अंधकार का स्रोत है।
बड़े लाल अजगर के अंधकार और बुराई को देखने और यह देखने के बाद कि यह लोगों को कैसे भ्रष्ट करता और पैर के नीचे रौंदता है, मैं मसीह की पवित्रता और सुंदरता को और अधिक महसूस करती हूँ। अंधकारमय दुनिया में महीस ही एकमात्र प्रकाश है, केवल मसीह ही मानवजाति को बचा और इस अंधकारमय और बुरी जगह से अलग होने में उसकी सहायता कर सकता है, और जब मसीह सत्ता लेगा, केवल तभी मानवजाति के लिए रोशनी लायी जाएगी। क्योंकि केवल परमेश्वर का ही ऐसा सार है जो सुंदर और अच्छा है, केवल परमेश्वर ही धार्मिकता और प्रकाश का मूल है, परमेश्वर ही एकमात्र प्रतीक है जिसे सभी अंधकार और बुराई से पराजित या उल्लंघन नहीं किया जा सकता है, केवल परमेश्वर ही पूरी दुनिया के पुराने चेहरे को बदल सकता है और पृथ्वी पर प्रकाश ला सकता है, और केवल परमेश्वर ही मानवजाति को अद्भुत गंतव्य तक ले जा सकता है। परमेश्वर के अलावा, इस कार्य को कोई भी नहीं कर सकता है और कोई भी शैतान को हरा या उसका सर्वनाश नहीं कर सकता है। ठीक जैसा कि परमेश्वर के वचनों में कहा गया है: "इस वृहद संसार में बार बार अनगिनत परिवर्तन हुए हैं। कोई भी मानवजाति की अगुवाई या निर्देश करने के योग्य नहीं है, सिर्फ़ ब्रह्माण्ड की सभी चीजों पर शासन करने वाला ही इसके योग्य है। कोई भी इतना शक्तिशाली नहीं है जो इस मानवजाति के लिए श्रम या तैयारियां कर सकता हो, फिर उसकी तो बात ही क्या जो इस मानवजाति को धरती के अन्याय से छुड़ाकर ज्योति की मंजिल की दिशा में अगुवाई कर सके" ("वचन देह में प्रकट होता है" से "परमेश्वर मनुष्य के जीवन का स्रोत है" से)।
मैं परमेश्वर के वचनों की प्रबुद्धता को धन्यवाद देती जिसने मुझे दुनिया में अंधकार और बुराई के स्रोत देखने दिया, जिस वजह से मेरे दिल में बड़े लाल अजगर के लिए सच में घृणा पैदा हो गई, और जिसने मुझे यह समझने दिया कि इस अंधकारमय जगह से बाहर निकलने, प्रकाश में प्रवेश करने के लिए केवल मसीह ही मनुष्य की अगुआई कर सकता है। केवल मसीह का अनुसरण करके और मसीह की आराधना करके ही मनुष्य शैतान के दुःख से दूर हो सकता है।
यांग ली वुहाई शहर, इनर मंगोलिया स्वायत्त क्षेत्र
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Als ich in der Schule war, wurde mein Vater krank und er starb. Nach seinem Tod wurden die Onkel der beiden Seiten der Familie oft von meinem Vater unterstützt, nicht nur unsere Mutter, die keine Quelle des Verdienst, meine beiden Schwestern und keine Aufmerksamkeit auf mich hatte. Aber im Gegensatz dazu haben sie getan, was sie tun konnten, um uns zu nutzen, auch für ein kleines Vermächtnis, das mein Vater zurückgelassen hatte. Ich habe vor meinen Verwandten viel Schmerz gespürt und das, was ich nie erwarten konnte, und ich konnte nichts tun, außer die volle Abwesenheit von Gewissen und Hass auf das gewissen dieser Verwandten zu hassen. Es war, ebenso wie ich das wissen über die Instabilität der menschlichen Natur hatte. Danach, immer wenn ich die Ereignisse der Menschen gesehen habe, die sich gegenseitig hinter dem Geld der Familienmitglieder in der Gesellschaft, oder die Ereignisse des Diebstahls oder der Tötung von Menschen für Geld, habe ich oft beklagt, dass diese Tage die Welt gefüllt war mit Extrem Dunkelheit. Es ist, dass die Herzen der Menschen wirklich unehrlich sind und diese Welt wirklich sehr instabil ist. Damals dachte ich, dass diese Welt mit so viel Dunkelheit gefüllt werden wird, denn heutzutage sind die Menschen schlecht geworden, dass es in Ihnen kein gewissen mehr gibt und dass die bösen Menschen auf dieser Welt zu viel sind. Danach, erst nach dem Essen und trinken der Befasste Gottes, wurde mir klar, dass alles, was ich dachte, nur die obere Oberfläche war, und er war nicht die Quelle der Dunkelheit und des Bösen der Welt. Mit den Worten Gottes habe ich eindeutig die wahre Quelle der Dunkelheit und des Bösen auf dieser Welt gesehen.
परमेश्वर के वचन कहते हैं: "शैतान के द्वारा भ्रष्ट होने से पहले, मनुष्य स्वभाविक रूप से परमेश्वर का अनुसरण करता था और उसके वचनों का आज्ञापालन करता था। वह स्वभाविक रूप से सही समझ और सद्विवेक का था, और सामान्य मानवता का था। शैतान के द्वारा भ्रष्ट होने के बाद, उसकी मूल समझ, सद्विवेक, और मानवता मंदी हो गईं और शैतान के द्वारा खराब हो गईं। इस प्रकार, उसने परमेश्वर के प्रति अपनी आज्ञाकारिता और प्रेम को खो दिया है। मनुष्य की समझ धर्मपथ से हट गई है, उसका स्वभाव एक जानवर के समान हो गया है, और परमेश्वर के प्रति उसकी विद्रोहशीलता और भी अधिक लगातार और गंभीर हो गई है। अभी तक मनुष्य इसे न तो जानता है और न ही पहचानता है, और केवल आँख बंद करके विरोध और विद्रोह करता है" ("वचन देह में प्रकट होता है" से "एक अपरिवर्तित स्वभाव का होना परमेश्वर के साथ शत्रुता होना है" से)। "हजारों वर्षों की प्राचीन संस्कृति और इतिहास के ज्ञान ने मानव की सोच और अवधारणाओं तथा मानसिक दृष्टिकोण को अभेद्य और अध्वंस्य हो जाने की सीमा तक बंद कर दिया है। …सामंती नैतिकता ने मनुष्य का जीवन "अधोलोक" में पहुंचा दिया है, जिससे व्यक्ति की विरोध करने की क्षमता और भी कम हो गई है। विभिन्न प्रकार के उत्पीड़न के तले मनुष्य धीरे-धीरे अधोलोक में और गहरा गिर गया.… प्राचीन संस्कृति के ज्ञान ने चुपचाप मनुष्य को परमेश्वर की उपस्थिति से चुरा लिया है और मनुष्य को दुष्टों के राजा और उसके पुत्रों को सौंप दिया है। चार पुस्तकों और पाँच क्लासिक्स ने मनुष्य की सोच और अवधारणाओं को विद्रोह के एक और युग में पहुँचा दिया है, जिससे मनुष्य उनकी और भी आराधना करता है जिन्होंने उन पुस्तकों और क्लासिक्स को लिखा था, परमेश्वर के बारे में उनकी धारणा को बढ़ाते हुए। दुष्टों के राजा ने निर्दयतापूर्वक मानव जाति के दिल से, उनकी जागरूकता के बिना, परमेश्वर को बाहर निकाल दिया, जबकि उसने मनुष्य के दिल को हर्षपूर्वक हथिया लिया। तब से मनुष्य, दुष्टों के राजा का चेहरा धारण करने वाले एक बदसूरत और दुष्ट आत्मा के अधीन हो गया था। परमेश्वर के प्रति एक घृणा उनके सीनों में भर गई, और दुष्टों के राजा की दुर्भावना दिन-ब-दिन आदमी के भीतर फैलती गई.… सह-अपराधियों का यह गिरोह! वे नश्वर भोग के सुख में लिप्त होने और विकार को फ़ैलाने के लिए मनुष्यों के बीच आते हैं। उनका उपद्रव दुनिया में अस्थिरता का कारण बनता है और मनुष्य के दिल में आतंक ले आता है, और उन्होंने मनुष्य को विकृत कर दिया है ताकि मनुष्य असहनीय कुरूपता वाले जानवरों के समान दिखे, मूल पवित्र व्यक्ति की थोड़ी-सी भी पहचान रखे बिना" ("वचन देह में प्रकट होता है" से "कार्य और प्रवेश (7)" से)। परमेश्वर के इन वचनों से, मैं समझ गई कि आरंभ में जिस मानवजाति की परमेश्वर ने रचना की थी वह मूल रूप से परमेश्वर के प्रति आज्ञाकारी थी, वे उसकी पूजा करते थे, उनके पास सामान्य मानवता का विवेक और तर्क था, और उन्हें दूषित नहीं किया गया था, न ही उन्होंने कोई बुराई की थी। मानवजाति को शैतान द्वारा भ्रष्ट किए जाने के बाद, पाप मनुष्य का स्थायी साथी बनना शुरू हो गया। कई हजार सालों से, शैतान ने लगातार मनुष्य को परेशान और भ्रष्ट किया है। यह मनुष्य में प्रतिक्रियावादी विचार और सिद्धांत बिठा देता है, ताकि मनुष्य उसके ज़हर पर भरोसा करके जीए, जिसके परिणामस्वरूप मानवजाति पहले से भी अधिक भ्रष्ट और ख़राब बनती जाएगी, और यह दुनिया पहले से भी अधिक अंधकारमय और बुरी बनती जाएगी। "दूसरे का गला काटे बिना सफलता नहीं मिलती," "सुबह जल्दी क्यों उठना यदि मेरे लिए इसमें कुछ नहीं है?" "कंजूसी का प्रतिदान मृत्यु है," "जैसे एक छोटे मन से कोई सज्जन व्यक्ति नहीं बनता है, वैसे ही वास्तविक मनुष्य विष के बिना नहीं होता है," "जिंदगी छोटी है, इसलिए मजे करो," "कभी भी कोई उद्धारकर्ता नहीं हुआ है" और "पृथ्वी पर किसी भी तरह का कोई भी परमेश्वर नहीं है" जैसे वाक्यांश सभी ज़हर हैं जो शैतान द्वारा मनुष्य के मन में बिठाए गए हैं। ये बातें लोगों की जिंदगियाँ बन जाती हैं और उनकी जिंदगी के नियम बन जाती हैं, जिसकी वजह से कोई भी फिर परमेश्वर की मौजूदगी में अब और विश्वास नहीं करता है, कोई भी स्वर्ग की अब और पूजा नहीं करता है, और कोई भी तर्क या अपने विवेक की अब और नहीं सुनता है। मनुष्य के दिल में परमेश्वर के लिए अब और कोई जगह नहीं है, परमेश्वर से आने वाले कानूनों और नियमों का अब और कोई प्रतिबंध नहीं है। सभी मनुष्य शैतान द्वारा विषाक्त और नियंत्रित कर लिए गए हैं, जिसकी वजह से मनुष्य पहले से भी अधिक विश्वासघाती, स्वार्थी, तिरस्करणीय, लालची, अहंकारी, पहले से अधिक बुरे और लंपट, असंयमी, पहले से भी अधिक स्वेच्छाचारी, अधर्मी और विकृत हो गए हैं। वे विवेक, नैतिकता, मानवीय प्रकृति से विहीन, और एक ऐसे मनुष्य के दानवीय मूर्तरूप बन गए हैं जहाँ द्वेष दूसरी प्रकृति के रूप में आता है। विशेष रूप से, "दूसरे का गला काटे बिना सफलता नहीं मिलती" एक घातक ज़हर है जो कि शैतान मनुष्य में रोपित करता है, और यह मेरे चाचाओं के साथ सर्वाधिक स्पष्ट था। मनुष्य किसी भी अन्य चीज के ऊपर अपना फायदा रखते हुए, "सुबह जल्दी क्यों उठना जब मेरे लिए इसमें कुछ नहीं है?" के बारे में सोचते हुए, केवल अपने खुद के हित के लिए ही जीता है। ज्यादा और बड़े लाभ प्राप्त करने के लिए, मनुष्य कोई भी बुरी या पापी चीज़ कर सकता है, कोई भी बेशर्म, तिरस्करणीय या अधम संदेहपूर्ण सौदा कर सकता है। लोगों के बीच कोई सच्चा प्यार या स्नेह नहीं है—यह सब एक-दूसरे से धोखा देना, एक-दूसरे का उपयोग करना और एक-दूसरे को नुकसान पहुँचाना है। एक ही परिवार के सदस्य धन और लाभ के लिए एक-दूसरे से लड़ते हुए, एक-दूसरे के साथ झगड़ सकते हैं और एक-दूसरे के दुश्मन बन सकते हैं। फिर इससे भी अधिक, लाभ के वास्ते संबंध और मित्र सभी नैतिक सिद्धांतों को भूल जाते हैं; वे मानव दिखाई दे सकते हैं, लेकिन उनके पास पशुओं के दिल हैं।… मनुष्य इन बुरी चीज़ों को कर सकता है यह सब इसलिए है क्योंकि उन्हें शैतान के "दूसरे का गला काटे बिना सफलता नहीं मिलती" द्वारा विषाक्त कर दिया गया है, और वे उसके प्रभुत्व के भीतर हैं। यह देखा जा सकता है कि मनुष्य के बुरे कर्मों का स्रोत शैतान का ज़हर है, और कि यह इस दुनिया में अंधकार का स्रोत है।
Um die Dunkelheit und das böse der großen Roten Python zu sehen und nachdem ich gesehen habe, wie es die Menschen korrumpiert und unter den Füßen treten, spüre ich die Reinheit und Schönheit Christi mehr. In der dunklen Welt sind Monate das einzige Licht, nur Christus kann die Menschheit retten und ihm helfen, von diesem dunklen und schlechten Ort getrennt zu werden, und wenn Christus die macht nimmt, wird nur das Licht an die Menschheit gebracht. Denn nur Gott ist das Wesen, das schön und gut ist, nur Gott ist der Ursprung der Gerechtigkeit und des Lichts, Gott ist das einzige Symbol, das nicht besiegt oder verletzt werden kann von allen Dunkelheit und böse, nur Gott ist die ganze Welt. Kann das alte Gesicht verändern und Licht auf die Erde bringen, und nur Gott kann die Menschheit zum wunderbaren Ziel bringen. Abgesehen von Gott, kann niemand diese Arbeit machen, und niemand kann den Teufel besiegen oder zerstören. So wie es in der Befasste Gottes gesagt wird: " es gab unzählige Veränderungen in der Welt. Niemand ist in der Lage, die Menschheit zu führen oder zu führen, nur um alle Dinge des Universums zu regieren, ist es wert. Niemand ist so mächtig, der Arbeit oder Vorbereitungen für diese menschliche Rasse machen kann, dann was ist die Sache von ihm, die diese Menschheit von der Ungerechtigkeit der Erde bis zur Richtung des Lichts des Lichts führen kann, " das Wort wird im Körper erscheinen " ist " Von " Gott ist die Quelle des Lebens des Menschen
Ich danke der Aufklärung der Worte Gottes, die mich die Quelle der Dunkelheit und des Bösen in der Welt sehen ließ, der Grund, warum mein Herz wirklich Hass auf die große Rote Python war, und der, der mich dazu gebracht hat, das aus diesem Dunkel zu verstehen Ort, um raus zu kommen, nur Christus kann den Mann dazu führen, das Licht zu betreten. Nur durch Christus und durch Anbetung Christi, kann der Mensch weit weg von der Trauer des Teufels sein.
Yang Lee Vuhā ' ī Stadt, innere Mongolei autonome Region
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